Diwali Festival | दिवाली क्यों मनाते है और इसका महत्व


नमस्कार दोस्तों ! हमारा देश त्योहारों का देश है। यहाँ भांति-भांति के त्यौहार मनाये जाते है। दीपावली इन्हीं में से एक बहुत बड़ा धार्मिक और सामाजिक त्यौहार है। जिसके बारे में हर किसी को पता होना ही चाहिए।

आज हम हिन्दुओं के सबसे बड़े त्यौहार दीवाली के बारे में बात करने जा रहे है। दीवाली का त्यौहार प्रकाश और खुशियों का त्यौहार है। यह त्यौहार देश के कोने-कोने में बड़े ही धूम-धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

लेकिन क्या आप जानते है कि दीपावली या दीवाली का त्यौहार क्या है ? इसे कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है ? और इसे मनाने का महत्व क्या है ? तो आइए हम Diwali Festival | दीपावली त्यौहार के बारे में विस्तार से जानते है :


Diwali Festival | दिवाली का त्यौहार क्या है


दोस्तों ! दीपावली का अर्थ है : दीपों की माला। इसलिए ये दीपों का त्यौहार है। ये त्यौहार विजयदशमी या दशहरा पर्व के 20 दिन बाद आता है। हर वर्ष अक्टूबर-नवम्बर में कार्तिक माह की अमावस्या को दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है।

दिवाली त्योहारों की बेला लेकर आता है। ये धन तेरस से प्रारम्भ होकर अंत में भैया दूज पर पूर्ण होने वाला त्यौहार है। दिवाली पांच दिनों के त्योहारों की श्रृंखला लेकर आती है। इन पांच दिनों में निम्न त्यौहार मनाये जाते है :

1.पहला दिनधन तेरस या धन त्रयोदशी
2.दूसरा दिनरूप चौदस या नरक चतुर्दशी
3.तीसरा दिनदिवाली या दीपावली
4.चौथा दिनगोवर्धन या अन्नकूट
5.पांचवां दिनभाई दूज या यम द्वितीया

दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? इसे मनाने को लेकर कई मान्यताएं है। तो आइए जानते है कि दिवाली का पर्व मनाने का क्या कारण है ?


Diwali Festival | दिवाली का त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है


दोस्तों ! दीपावली दीपों के साथ-साथ रोशनी और खुशियों का त्यौहार है। दिवाली के 20 दिन पूर्व दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान रामजी ने रावण का वध किया था और 20 दिन बाद कार्तिक मास की अमावस्या के दिन वे अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या नगरी लौटे थे।

घर आने की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाकर उनका स्वागत किया । तब से लेकर अब तक इसी ख़ुशी का इजहार करने के लिए दीपावली का त्यौहार हर साल धूम-धाम से मनाया जाता है।

इसके अलावा दिवाली मनाने को लेकर निम्न मान्यताएं भी प्रचलित है :

  • इसके अलावा दिवाली के दिन अर्थात कार्तिक मास की अमावस्या को ही महाभारत के पांडवो का भी 13 वर्ष का वनवास पूर्ण हुआ था। इस ख़ुशी में भी हस्तिनापुर में दीपक जलाये गए।
  • इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन माँ लक्ष्मीजी का जन्म हुआ था। तथा इस दिन ही इनका विवाह भगवान विष्णुजी से हुआ था। साथ ही ये भी मान्यता है कि कार्तिक अमावस्या के ही दिन माता लक्ष्मी जी को भगवान विष्णुजी के पांचवे अवतार ने राजा बाली की कैद से आजाद कराया था। ये भी एक वजह है कि इस दिन माता लक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
  • दिवाली का त्यौहार धन-धान्य का त्यौहार है। ये त्यौहार खरीफ की फसल के दौरान ही आता है। खरीफ की कटाई होने और लाभ कमाने पर किसान भी इस त्यौहार को बड़े उत्साह के साथ मनाते है। ये त्यौहार किसानों के जीवन में भी सुख समृद्धि लेकर आता है। साथ ही व्यापारी लोग भी अपने नए बही खाते प्रारम्भ करके नए वर्ष का स्वागत करते है।

Diwali Festival | दिवाली का त्यौहार कैसे मनाया जाता है


दोस्तों ! दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूम-धाम और साज-सज्जा के साथ मनाया जाता है। आइए जानते है कि किस प्रकार ये त्यौहार मनाया जाता है :

दिवाली से पूर्व ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई में लग जाते है। लोग अपने घरों की विशेष प्रकार से सजावट करते है। बाज़ारों में भी रौनक और चहलपहल का माहौल देखने को मिलता है । दुकाने भी मिठाई, कपडे, पटाखे, दीये, खिलौने आदि से सजी हुयी दिखायी पड़ती है। लोग दिवाली पर कई प्रकार की मिठाइयां, गन्ने, फूल माला, दीपक, कलश, नए-नए कपडे, पटाखे, फुलझड़िया आदि घर लाते है।

धन तेरस पर घर में नए बर्तन भी लाये जाते है। दिवाली से दो दिन पहले आने वाली धन तेरस पर लोग विविध प्रकार की खरीददारी करते है। दिवाली पर सभी दुकानों, घरों एवं सभी निजी और सार्वजानिक स्थानों को रोशनीयुक्त तथा फूल मालाओं से सजा दिया जाता है।

रात्रि में सभी लोग नए-नए वस्त्र पहनते है। घर में अच्छे-अच्छे पकवान बनाये जाते है। शुभ मुहूर्त देखकर माँ लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। पूजा में घर के सभी लोग शामिल होते है। हर जगह जगमग दीपक जलाकर रौशनी की जाती है। और बच्चे-बड़े सभी लोग पटाखे, फुलझड़ियाँ, फव्वारे आदि जलाते है और खुशियाँ मनाते नज़र आते है।

सच में दीपावली पर हर कोई बहुत खुश होता है। इस दिन सभी लोग पुराने गिले-शिकवे भूलाकर एक-दूसरे को गले लगाते है और दिवाली की हार्दिक शुभकामनाये देते है। तथा मिलजुल कर आनंद के साथ दिवाली मनाते है।

दोस्तों ! इस दिन पटाखे बड़ी ही सावधानी से जलाने चाहिए। कई बार इस खुशी के मौके पर दुःखद घटनाये भी घटित हो जाती है। दिवाली खुशियों का त्यौहार है। लापरवाही करके इसे मातम में ना बदले। ये त्यौहार अंधकार को मिटाकर जीवन में खुशियों की रौशनी फैलाता है।


Diwali Festival | दिवाली का महत्व


दिवाली के त्यौहार का हम सभी के जीवन में बड़ा महत्व है। ये त्यौहार हमें कड़वाहट को दूर करके मिलजुल कर रहना सिखाता है। एक-दूसरे इंसान के मध्य प्रेम बढ़ाता है। हमारी जिंदगी में आनंद और ख़ुशी का संचार करता है।

हमें प्रेरणा देता है कि बुराई पर अच्छाई की जीत होकर ही रहती है। अंधकार कभी जीत नहीं सकता। रौशनी के आगे उसे घुटने टेकने ही पड़ते है। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए तकलीफ उठानी पड़ती है लेकिन एक दिन ऐसा भी आता है, जब सफलता की रौशनी हर जगह फैलती है और हर कोई स्वागत में दिए लेकर खड़ा होता है।

इस दिन माँ लक्ष्मीजी की सच्चे मन से पूजा आराधना करने से घर में, व्यापार में सुख-सम्पति का आगाज़ होता है। कभी भी धन और शोहरत की कमी नहीं होती है। जगमग रौशनी और पटाखों की आवाज़ जीवन में नयी उमंग और सम्पन्नता आने का प्रतीक है।

इसप्रकार दोस्तों ! आप जान गए होंगे कि Diwali Festival | दिवाली का त्यौहार कब, क्यों और कैसे मनाया जाता है। हम कामना करते है कि दिवाली हर बार की तरह आपके जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि की एक नयी चमक लेकर आये और आपका जीवन सदैव खुशियों से महकता रहे।


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आशा करते है कि आज आपको “Diwali Festival | दिवाली क्यों मनाते है और इसका महत्व“के बारे में जानकारी पसंद आयी होगी और जीवन में दीवाली के प्रतीकात्मक महत्व के बारे में भी पता चल गया होगा।

दोस्तों ! अपने परिवारजनों, मित्रों, बच्चों एवं रिश्तेदारों में इस जानकारी को शेयर करना ना भूले ताकि उन्हें भी दिवाली पर्व की महत्ता का पता चल सके।

इस प्यारभरे त्यौहार के लिए आपका एक शेयर करना तो बनता है। Technicalvk की ओर से दीपावली के इस शुभ अवसर पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाये। धन्यवाद !


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