Raksha Bandhan Ki Katha | रक्षा बंधन की पौराणिक कथाएं


Raksha Bandhan Ki Pauranik Katha in Hindi : नमस्कार दोस्तों ! आज हम भाई बहिन के सबसे प्रिय त्योहार रक्षा बंधन के बारे में बात करने जा रहे है। ये राखी का त्योहार हमारे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ हर वर्ष मनाया जाता है।

आज के लेख में हम जानेंगे कि (Raksha Bandhan Festival Kya Hai Aur Kyu Manaya Jata Hai in Hindi) रक्षाबंधन का त्योहार क्यों मनाया जाता है ? राखी या रक्षाबंधन की पौराणिक कथाएं और इसका महत्व क्या है ? तो चलिए शुरू करते है : Essay on Raksha Bandhan Festival / Rakhi Parv Par Nibandh in Hindi.


रक्षा बंधन का त्योहार क्या है और क्यों मनाया जाता है ?


What is Raksha Bandhan Rakhi Festival in Hindi : दोस्तों ! रक्षा बंधन दो शब्दों से मिलकर बना है : रक्षा + बंधन। अर्थात् किसी को रक्षा के लिए बांध लेना। ये श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला त्योहार है। ये भाई बहिन के प्रेम का त्योहार है।

इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर हाथ पर रक्षा सूत्र बांधती है। और भाई अपनी बहन की रक्षा का दायित्व उठाता है। साथ ही अपनी बहन को स्पेशल उपहार भी देता है।

ये त्योहार पूरे भारत देश में बड़े ही चाव से मनाया जाता है। ये भाई-बहन के प्यार और विश्वास का अटूट बंधन है। रक्षाबंधन क्यों और कब शुरू हुआ ? ये कहना थोड़ा मुश्किल है। रक्षाबंधन को लेकर कई कथायें पौराणिक ग्रंथों में मिलती है। आइए जानते है कि रक्षा बंधन से सम्बंधित कौनसी पौराणिक कथायें प्रचलित है ?


Raksha Bandhan Ki Katha | रक्षा बंधन की पौराणिक कथाएं


What is History or Story of Raksha Bandhan / Rakhi in Hindi : दोस्तों ! रक्षा बंधन मनाने का इतिहास या पौराणिक कथाएं इस प्रकार से है :

#1. पौराणिक कथा :

Raksha Bandhan Ki Kahani in Hindi : एक बार की बात है, जब युधिष्ठिर ने भगवान् कृष्ण जी से रक्षा बंधन की कथा सुनाने के लिए कहा। तब भगवान कथा सुनाते हुए कहने लगे कि हे पांडव श्रेष्ठ ! प्राचीन समय में देवताओं और राक्षसों के बीच यद्ध छिड़ गया। और ये युद्ध 12 वर्षो तक चलता रहा। इस युद्ध में असुरों ने देवताओं के राजा इन्द्र को पराजित कर दिया।

ऐसे में देवराज इंद्र सभी देवताओं सहित अमरावती की ओर प्रस्थान कर गये। इन्द्र को परास्त करने के बाद असुरराज ने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य कर लिया। और घोषणा करवा दी कि अब देवराज इन्द्र सभा में न आये। देवता और मनुष्य यज्ञ कर्म के स्थान पर मेरी पूजा करे। और जिस किसी को भी ये स्वीकार ना हो, वो राज्य को छोड़कर चला जाये।

असुरराज के इस अत्याचार से यज्ञ, पूजा पाठ आदि समाप्त हो गये। इससे धर्म की हानि होने लगी और चारों ओर अधर्म का काला साया व्याप्त होने लगा। इससे देवताओं की शक्ति भी क्षीण होने लगी।

इस भीषण स्थिति को देखकर इंद्रदेव भयभीत हो गये और वे बृहस्पति के पास गये और बोले कि हे गुरुदेव ! मैं चारों तरफ से शत्रुओं से घिरा हुआ हूँ। और मैं अब प्राणांत संग्राम करना चाहता हूँ।

Raksha Bandhan Ki Katha | रक्षा बंधन की पौराणिक कथा :

बृहस्पति ने इन्द्र को समझाने का प्रयास किया कि इतना क्रोध करना सही नहीं है। लेकिन बाद में इन्द्र की वेदना और हठ को समझकर उन्होंने एक रक्षा विधान करने को कहा। बृहस्पति जी ने श्रवण पूर्णिमा के दिन प्रातकाल: कुछ मंत्रोच्चारण करके रक्षा विधान सम्पन्न किया। ये मंत्र कुछ इसप्रकार से है :

येन बद्धो बलिर्राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामभिवहनामि रक्षे मा चल मा चलः।।

इस अवसर पर देवराज इन्द्र अपनी सहधर्मिणी इन्द्राणी के साथ इस विधान को पूर्ण करते है। इन्द्राणी ने ब्राह्मण पुरोहित से स्वस्ति वचन कराया और देवराज इंद्रा के दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बांध दिया। ये कर्म करके देवराज इंद्र युद्धभूमि में चले गये। ये वहीँ रक्षा सूत्र था, जिसकी बदौलत इंद्र ने असुरों पर विजय प्राप्त की।

Raksha Bandhan Kab Aur Kyu Shuru Hua in Hindi : तब से ही श्रवण पूर्णिमा के दिन राखी बाँधने का विधान प्रारम्भ होता है।

#2. पौराणिक कथा :

Raksha Bandhan Ki Story in Hindi : जब राजा बलि ने वामन अवतार लिए भगवान विष्णु जी को तीन पग भूमि का दान किया। विष्णु जी ने दो पग में ही धरती और आकाश को नाप लिया। तब तीसरे पग को राजा बलि ने अपने सिर पर रखवा लिया। राजा बलि ने भगवान से याचना कि मेरा सबकुछ चला गया है। अब आप मेरे साथ पाताल में चलकर रहे। और भगवान उनके साथ पाताल चले गये।

ये देखकर लक्ष्मी माँ ने गरीब महिला बनकर राजा बलि के राखी बाँधी। और बदले में भगवान को पाताल से निकालकर अपने साथ ले जाने को कहा। इसप्रकार इस रक्षासूत्र की सहायता से माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु जी को राजा बलि के बंधन से आजाद कराया।

#3. पौराणिक कथा :

Rakhi Ki Mythological Story in Hindi : एक बार भगवान श्री कृष्ण जी के हाथ में चोट लगने से खून निकलने लग गये। ये देखकर द्रौपदी ने तुरंत अपनी धोती का पल्लू फाड़ा और कृष्ण जी के हाथ पर बांध दिया। इसी बंधन की वजह से कृष्ण जी ने द्रौपदी की चीर हरण के समय लाज रखी थी।

#4. पौराणिक कथा :

Raksha Bandhan Ka Itihass Kahani in Hindi : इसी तरह से मध्य कालीन इतिहास की भी एक घटना है। चित्तौड़ की रानी कर्मवती ने भी एक बार दिल्ली के मुग़ल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी थी। हुमायूँ ने कर्मवती की राखी को स्वीकार किया और अपनी बहन के सम्मान की रक्षा के लिए गुजरात के बादशाह से युद्ध किया।


रक्षा बंधन या राखी का क्या महत्व है ?


Raksha Bandhan Rakhi Ka Mahatva Importance in Hindi : दोस्तों ! रक्षा बंधन महज एक त्योहार ही नहीं है, बल्कि ये भाई-बहिन के पवित्र रिश्ते का प्यार भरा आधार है। ये त्योहार देश में हर वर्ष बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

यह भाई-बहन के भावनात्मक संबंधो का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। और अपने वीर जी के लम्बे जीवन की दुआ करती है। भाई भी अपनी बहन की रक्षा का भार उठाने के लिए कृत संकल्पित होता है।

आज राखी केवल भाई-बहन के रिश्ते को बरकरार रखने के लिए ही नहीं बाँधी जाती है, बल्कि प्रकृति की रक्षा, धर्म और देश की रक्षा के लिए भी बाँधी जाती है। इसप्रकार रक्षा बंधन का राष्ट्रीय, सामाजिक और धार्मिक महत्व भी है।

आज के समय में रिश्तों की मर्यादा खत्म होती जा रही है। लोगों में प्यार और आदर की भावना कम होती जा रही है। ऐसे में राखी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। क्योंकि ये पर्व प्रेम और भावनात्मक संबंधों को मजबूती प्रदान करता है।

इस प्रकार दोस्तों ! आज हमने Raksha Bandhan Ki Katha | रक्षाबंधन की पौराणिक कथा को जाना और समझा। साथ ही हमने राखी या रक्षा सूत्र के महत्व को भी समझा।


ये भी अच्छे से समझे :


अच्छा लगा तो शेयर कीजिये :

आशा करते है कि आपको “Raksha Bandhan Ki Katha | रक्षा बंधन की पौराणिक कथाएं” के बारे में अच्छी जानकारी मिल गयी होगी। भाई-बहन के इस प्रिय त्योहार का माहत्म्य जानकार आपको कैसा लगा ? कमेंट बॉक्स में लिखकर अवश्य बताये।

अगर आपको राखी के पर्व के बारे में ये तथ्य अच्छे लगे तो आप इन्हें अपने भाई-बहिनों, परिजनों और साथियों तक जरूर शेयर कीजिये। भाई-बहन का आपसी प्रेम यूँ ही बना रहे और रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामना के साथ। धन्यवाद !


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